हे !दयामई माँ शरण तिहारे, अबकी बेर उबारो। हे !दयामई माँ शरण तिहारे, अबकी बेर उबारो।
"नीरज" यह कभी भी शांत ना होंगी, "प्रभु" ही पार करते हैं। "नीरज" यह कभी भी शांत ना होंगी, "प्रभु" ही पार करते हैं।
पाप किए मैंने बहुतेरे , जो ना हो सकते अक्षम्य कभी भी। पाप किए मैंने बहुतेरे , जो ना हो सकते अक्षम्य कभी भी।
चारों तरफ अँधेरा नाच रहा है ऊपर नीचे सूरज को थोड़ा फैला आफताब देना चाहिए चारों तरफ अँधेरा नाच रहा है ऊपर नीचे सूरज को थोड़ा फैला आफताब देना चाहिए
अगर मंदिर मे भगवान होते तो वह किसी के घर की चार दिवारी पर ना लटकते...! अगर मंदिर मे भगवान होते तो वह किसी के घर की चार दिवारी पर ना लटकते...!
इश्क में सब कुछ सहना पड़ता है... इश्क में सब कुछ सहना पड़ता है...